Skip to main content

श्री गायत्री स्तोत्र Shri Gayatri Stotra

 नमस्ते देवि गायत्रि सावित्रि त्रिपदेऽक्षरे ।

अजरे अमरे मातस्त्राहि मां भवसागरात् ॥ १॥


नमस्ते सूर्यसङ्काशे सूर्यसावित्रि कोमले ।

ब्रह्मविद्ये महाविद्ये वेदमातर्नमोस्तु ते ॥ २॥


अनन्तकोटिब्रह्माण्डव्यापिनि ब्रह्मचारिणि ।

नित्यानन्दे महामाये परेशानि नमोस्तु ते ॥ ३॥


त्वं ब्रह्मा त्वं हरिः साक्षाद्रुद्रस्त्वमिन्द्रदेवता ।

मित्रस्त्वं वरुणस्त्वं च त्वमग्निरश्विनौ भगः ॥ ४॥


पूषार्यमा मरुत्वांश्च ऋषयोऽपि मुनीश्वराः ।

पितरो नागयक्षाश्च गन्धर्वाप्सरसां गणाः ॥ ५॥


रक्षोभूतपिशाचाश्च त्वमेव परमेश्वरि ।

ऋग्यजुस्सामवेदाश्च अथर्वाङ्गिरसानि च ॥ ६॥


त्वमेव पञ्चभूतानि तत्त्वानि जगदीश्वरि ।

ब्राह्मी सरस्वती सन्ध्या तुरीया त्वं महेश्वरि ॥ ७॥


त्वमेव सर्वशास्त्राणि त्वमेव सर्वसंहिताः ।

पुराणानि च मन्त्राणि महागम मतानि च ॥ ८॥


तत्सद्ब्रह्मस्वरूपा त्वं कञ्चित्सदसदात्मिका ।

परात्परेशि गायत्रि नमस्ते मातरम्बिके ॥ ९॥


चन्द्रे कलात्मिके नित्ये कालरात्रि स्वधे स्वरे ।

स्वाहाकारेऽग्निवक्त्रे त्वां नमामि जगदीश्वरि ॥ १०॥


नमो नमस्ते गायत्रि सावित्रि त्वां नमाम्यहम् ।

सरस्वति नमस्तुभ्यं तुरीये ब्रह्मरूपिणि ॥ ११॥


अपराधसहस्राणि त्वसत्कर्मशतानि च ।

मत्तो जातानि देवेशि त्वं क्षमस्व दिने दिने ॥ १२॥


॥ इति वसिष्ठसंहितायां गायत्रीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

Comments

Popular posts from this blog

Gajendra Moksham Stotram - गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र

हम सभी साधना में सफलता के लिए आवश्यक कड़ी मेहनत/भक्ति/विश्वास से बचने की कोशिश कर रहे हैं, और फिर भी पहले प्रयास में 100% सफलता प्राप्त करना चाहते हैं!!!, फिर अपने बारे में सोचें कि इसका मूल्य क्या है और बड़ी साधना की उपयोगिता?, यदि छोटी-छोटी साधना से सारे काम आसानी से पूरे हो सकते हैं। प्रत्येक साधना का अपना मूल्य होता है। समस्या और भी बदतर हो सकती है, जब साधक ने गुरु दीक्षा नहीं ली है, और किसी कारण से, वे यंत्र या माला खरीदने में सक्षम नहीं हैं और कभी-कभी उनके परिवार के सदस्य का निगम नहीं हो सकता है। (प्रत्येक असफलता स्वागत योग्य बात नहीं है, लेकिन जो लोग हर विफलता के पीछे छिपी बुनियादी घटनाओं को समझ सकते हैं, वे पहले से ही जानते हैं कि यह सफलता के लिए एक नए क्षितिज का उद्घाटन है, अन्यथा उस बिंदु पर सफलता मिलने पर, हो सकता है कि आप ऐसा न कर पाएं) आगे बढ़ने के लिए बढ़ें/रुचि रखें।)   ऐसा कहा जाता है कि सदगुरुदेव सदैव हमें अग्नि के माध्यम से पवित्र करते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि वे हमें आग के बीच में फेंक देंगे, बल्कि ऐसी परिस्थिति और स्थिति पैदा करेंगे, जहां हम आसानी से अपने जी...

गायत्री मंत्र या स्तोत्र सबसे शक्तिशाली क्यों माना गया है?

 गायत्री  Gayatri Mantra ॐ भूर्भुवः स्वः । तत्स॑वि॒तुर्वरेण्यं॒ भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि । धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त् ॥ ॐ = प्रणव भू: = मनुष्य को प्राण प्रदान करने वाला भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला स्वः = सुख़ प्रदान करने वाला तत् = वह, सवितु: = सूर्य की भांति वरेण्यं = सबसे उत्तम भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला देवस्य = प्रभु धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान) धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना) मैं साधकों को गुरुदेव द्वारा दी गई कई अन्य सिद्धियों के बारे में चर्चा करते देखता हूं, लेकिन कोई भी गायत्री मंत्र के बारे में बात नहीं करता है, जो एक महामंत्र है जिसके माध्यम से कई सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं.. हर किसी को प्रतिदिन तुलसी माला के साथ गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए, कम से कम 4 माला गायत्री का करना चाहिए। प्रतिदिन बिना रुके मंत्र जाप करें और मंत्र जाप के बाद मंत्र जाप के दौरान रखे हुए जल को सुबह के सूर्य को समर्पित करें।  कोई भी प्रतिदिन 4 माला से अधिक गायत्री मंत्र का जाप कर सकता है, जैसे 11 माला या इससे अधिक, लेकिन इसे ...

गायत्री मंत्र शक्तिशाली या खतरनाक है ? Is Gayatri Mantra powerful or dangerous?

 गायत्री मंत्र शक्तिशाली या खतरनाक है ? Is Gayatri Mantra powerful or dangerous? सद्गुरु जी ने कहा , एक आध्यात्मिक साधक के जीवन में गायत्री मंत्र के महत्व के बारे में बता रहे हैं । वे बताते हैं कि कैसे एक महिला ने इस मंत्र का गलत जाप किया था और अपनी आवाज खो दी थी। गायत्री मंत्र को हिन्दू धर्म में पवित्र और शक्तिशाली माना गया  है , और बहुत से लोग इसे अपने आध्यात्मिक अभ्यास का हिस्सा बनाते हैं बिना किसी प्रतिबंध के। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियाँ या शर्तें हो सकती हैं, जिसके तहत व्यक्तियों को गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना सुझाया जा सकता है। ये कारण सांस्कृतिक, परंपरागत या व्यक्तिगत विश्वासों पर आधारित हो सकते हैं। यहां कुछ संभावनाएँ हैं: दीक्षा (इनिशिएशन): कुछ परंपराएँ यह सुझाव देती हैं कि व्यक्तियों को विशेष गुरु या आध्यात्मिक शिक्षक से दीक्षा लेनी चाहिए, जिससे कि वे गायत्री मंत्र जैसे कुछ मंत्रों का जाप करने के लिए योग्य हों। दीक्षा का माना जाता है कि इससे आध्यात्मिक ऊर्जा प्रवाहित होती है और मंत्र का सही उच्चारण और समझ सुनिश्चित होता है। मन और शरीर की शुद्धि: प्राचीन परंपरा...