Skip to main content

कनकधारा स्तोत्र Kanakdhara Strotra

 अत्यधिक प्रभावशाली कनकधारा स्तोत्र 


कनकधारा स्तोत्र की रचना भगवान शिव के अवतार आदिगुरु शंकराचार्य ने की थी। बचपन में एक दिन वह एक ब्राह्मण के घर भिक्षा मांगने गये। ब्राह्मण देवता नहीं थे, घर में इतनी गरीबी थी कि ब्राह्मण के पास देने के लिए कुछ भी नहीं था। उसने भी कई दिनों से भोजन नहीं किया था, अपनी दयनीय स्थिति के कारण और बटुक को कुछ न दे पाने के कारण, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, बड़ी मुश्किल से उसे घर में एक आंवला मिला, तो ब्राह्मणी उसे लेकर बाहर आ गई, उसकी दयनीय स्थिति देखकर बालक शंकर को बहुत दया आयी। उन्होंने तुरंत कनकधारा स्तोत्र की रचना की और देवी लक्ष्मी का आह्वान किया। बालक शंकर की स्तुति से माता लक्ष्मी प्रकट हुईं। माता लक्ष्मी के प्रकट होते ही बालक शंकर ने माता लक्ष्मी से उस गरीब ब्राह्मण परिवार को धनवान बनाने का अनुरोध किया। इस पर लक्ष्मी ने अपने पिछले जन्म का हवाला देते हुए कहा कि यह संभव नहीं है, लेकिन वह बालक शंकर के कनकधारा स्तोत्र से इतनी प्रसन्न हुईं कि वह उनके अनुरोध को टाल नहीं सकीं और उस ब्राह्मण परिवार के घर पर कनक यानी सोने की वर्षा की। .

Kanakadhara Stotra was composed by Adiguru Shankaracharya, an incarnation of Lord Shiva. One day in his childhood, he went to a Brahmin's house to beg for alms. Brahmins were not gods, there was so much poverty in the house that the Brahmins had nothing to give. She too had not eaten for many days, due to her miserable condition and not being able to give anything to Batuk, tears were flowing from her eyes, with great difficulty she found an Amla in the house, so the Brahmin came out with it. Seeing his pitiful condition, child Shankar felt very pity. He immediately composed the Kanakadhara Stotra and invoked Goddess Lakshmi. Mother Lakshmi appeared due to the praise of child Shankar. As soon as Goddess Lakshmi appeared, child Shankar requested Goddess Lakshmi to make that poor Brahmin family rich. On this, Lakshmi, citing her previous birth, said that this was not possible, but she was so pleased with the Kanakadhara Stotra of child Shankar that she could not avoid his request and showered Kanak i.e. gold on the house of that Brahmin family. . ,

#kanakdharastotra #kanakdharasadhna #kanakdharastotram #laxmisadhna



रोज इस स्तोत्र का जाप निखिल मंत्र विज्ञानं से मंगवाकर कनकधारा यन्त्र मंदिर में रखकर किया जाये या कनकधारा साधना की जाये तो अश्चार्यजनक शुभ परिणाम प्राप्त होते ही हैं 
 


Comments

Popular posts from this blog

गायत्री मंत्र या स्तोत्र सबसे शक्तिशाली क्यों माना गया है?

 गायत्री  Gayatri Mantra ॐ भूर्भुवः स्वः । तत्स॑वि॒तुर्वरेण्यं॒ भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि । धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त् ॥ ॐ = प्रणव भू: = मनुष्य को प्राण प्रदान करने वाला भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला स्वः = सुख़ प्रदान करने वाला तत् = वह, सवितु: = सूर्य की भांति वरेण्यं = सबसे उत्तम भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला देवस्य = प्रभु धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान) धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना) मैं साधकों को गुरुदेव द्वारा दी गई कई अन्य सिद्धियों के बारे में चर्चा करते देखता हूं, लेकिन कोई भी गायत्री मंत्र के बारे में बात नहीं करता है, जो एक महामंत्र है जिसके माध्यम से कई सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं.. हर किसी को प्रतिदिन तुलसी माला के साथ गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए, कम से कम 4 माला गायत्री का करना चाहिए। प्रतिदिन बिना रुके मंत्र जाप करें और मंत्र जाप के बाद मंत्र जाप के दौरान रखे हुए जल को सुबह के सूर्य को समर्पित करें।  कोई भी प्रतिदिन 4 माला से अधिक गायत्री मंत्र का जाप कर सकता है, जैसे 11 माला या इससे अधिक, लेकिन इसे ...

गायत्री मंत्र शक्तिशाली या खतरनाक है ? Is Gayatri Mantra powerful or dangerous?

 गायत्री मंत्र शक्तिशाली या खतरनाक है ? Is Gayatri Mantra powerful or dangerous? सद्गुरु जी ने कहा , एक आध्यात्मिक साधक के जीवन में गायत्री मंत्र के महत्व के बारे में बता रहे हैं । वे बताते हैं कि कैसे एक महिला ने इस मंत्र का गलत जाप किया था और अपनी आवाज खो दी थी। गायत्री मंत्र को हिन्दू धर्म में पवित्र और शक्तिशाली माना गया  है , और बहुत से लोग इसे अपने आध्यात्मिक अभ्यास का हिस्सा बनाते हैं बिना किसी प्रतिबंध के। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियाँ या शर्तें हो सकती हैं, जिसके तहत व्यक्तियों को गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना सुझाया जा सकता है। ये कारण सांस्कृतिक, परंपरागत या व्यक्तिगत विश्वासों पर आधारित हो सकते हैं। यहां कुछ संभावनाएँ हैं: दीक्षा (इनिशिएशन): कुछ परंपराएँ यह सुझाव देती हैं कि व्यक्तियों को विशेष गुरु या आध्यात्मिक शिक्षक से दीक्षा लेनी चाहिए, जिससे कि वे गायत्री मंत्र जैसे कुछ मंत्रों का जाप करने के लिए योग्य हों। दीक्षा का माना जाता है कि इससे आध्यात्मिक ऊर्जा प्रवाहित होती है और मंत्र का सही उच्चारण और समझ सुनिश्चित होता है। मन और शरीर की शुद्धि: प्राचीन परंपरा...

कर्ज बाधा, शत्रु बाधा, जीवन की समस्त परेशानियों का करें शमन काली स्तोत्र से।

  प्रत्येक स्तोत्र अपने आप में कुछ न कुछ विशेष रहस्य छुपाये ही रहता है , और यहाँ काली स्त्रोत्र भी इतना ही तीक्ष्ण प्रभावशाली है। साधक को चाहिए की किसी भी तांत्रिक या शमशान साधना करने से पहले इस स्तोत्र का पथ करना ही चाहिए, माँ काली शमशान की देवी है, साधक के जीवन में आयी कठिन से कठिन परेशानिया , बाधाएं जो शमशान तुल्य बनकर जीवन को बर्बाद कर रही वो , उन कठिन से कठिन परेशानियों को इस स्तोत्र के रोज १०८ पाठ करने से निश्चित रूप से दूर होती ही हैं,  इस स्तोत्र को किसी भी मंगलवार कृष्ण पक्ष के अथवा अष्टमी की रात्रि से प्रारम्भ किया जा सकता है, बस जितने दिन ११, २१, ५१, पाठ करे साधक पूर्ण ब्रहचर्य का पालन करे , सात्विक भोजन एवं भूमि शयन करे , यदि किसी विशेष कार्य, कर्ज बाधा , शत्रु बाधा के लिए संकल्प के साथ स्तोत्र पथ करे तो सफलता मिलती ही है।  और यदि सिद्ध  चंडी यन्त्र को पूजन कर इस स्तोत्र का केवल ५१ पाठ करे तो भी सफलता मिलती ही है.  कर्ज बाधा, शत्रु बाधा, जीवन की समस्त परेशानियों का करें शमन काली स्तोत्र से।  कठिन परेशानिया , बाधाएं जो शमशान तुल्य बनकर जीवन को बर...